मुख्यमंत्री कृषि संवर्धन योजना से ऊना जिला के 45,965 किसान लाभान्वित

मुख्यमंत्री कृषि संवर्धन योजना के मुख्य घटक
मुख्यमंत्री कृषि संवर्धन योजना के मुख्य चार घटक हैं जिसमें समूह आधारित सब्जी उत्पादन योजना, आदान आधारित उपदान योजना जिसमें(बीज, पौध संरक्षण सामग्री और खाद), बीज गुणन श्रृंखला की सुदृढ़ता और प्रयोगशालाओं की सुदृढ़ता शामिल हैं।
समूह आधारित सब्जी उत्पादन योजना
समूह आधारित सब्जी उत्पादन योजना प्रदेश में सब्जी उत्पादन के सम्पूर्ण सामर्थ्य का दोहन करने के लिए कृषि विभाग ने सब्जी उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से पूरे प्रदेश को शामिल करने के लिए समूह पद्धति को प्रस्तावित किया है। इससे प्रदेश में सब्जी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा तथा किसानों की आय में बढ़ौत्तरी होने के साथ-साथ युवा व महिला किसानों को कृषि व्यवसाय तथा लघु-उद्योगों के माध्यम से रोजगार के अवसर मिलेंगे।
बीज एक महत्वपूर्ण बुनियादी आदान है जो फसलों के उत्पादन व उत्पादकता को सुनिश्चित करता है। फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सभी वर्गों के किसानों को अनाजों, दालों, तिलहन व चारा फसलों के बीजों पर 50 प्रतिशत अनुदान जबकि आलू, अदरक व हल्दी के बीज पर 25 प्रतिशत अनुदान देकर प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा किसानों को खादों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा मिश्रित खादों पर उपदान प्रदान करने के लिए नीति बनाई गई है। प्रदेश सरकार ने राज्य प्रायोजित योजनाओं के तहत फसलों के बचाव के लिए गैर रसायनिक विधियों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। कीट टैªप, ल्योर, जैव नियंत्रक, जैविक कीटनाशकों व वानस्पतिक नियंत्रक इत्यादि पर सभी वर्गों के किसानों को 50 प्रतिशत प्रोत्साहन प्रदान करने का प्रस्ताव रखा है। बीज वृद्धि कृषि की महत्वपूर्ण गतिविधि है तथ बीज श्रृंखला का अभिन्न अंग है जो राज्य को बीजों के लिए आत्मनिर्भर राज्य के रूप में विकसित होने में सहायक होगा तथा पड़ोसी राज्यों से खरीद पर निर्भरता को कम करेगा।
प्रयोगशालाओं का सशक्तिकरण
कृषि विभाग प्रदेश में 11 मृदा परीक्षण, 3 उर्वरक परीक्षण, 3 बीज परीक्षण, 2 जैव नियंत्रण, एक राज्य कीटनाशक परीक्षण और एक जैव उर्वरक उत्पादन व गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला संचालित कर रहा है। मृदा स्वास्थ्य मूल्यांकन के लिए कृषि विभाग किसानों को मृदा जांच निःशुल्क उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा किसानों को गुणवतापूर्ण आदान प्रदान करने के लिए गुणवता नियंत्रण प्रयोगशालाएं जैसे बीज, उर्वरक औी कीटनाशी इत्यादि राज्य में चलाई जा रही है। कीट नियंत्रण की गैर रसायनिक विधियों को बढ़ावा देने के लिए जिला कांगड़ा और मंडी में 2 जैव नियंत्रण प्रयोगशालाएं कार्यरत है। ये प्रयोगशालाएं किसानों के खेतों में बायो एजेंट, जैव कीटनाशकों, टै्रप्स और ल्योर आदि प्रयोग का निःशुल्क प्रदर्शन लगाते हैं।