भारत विभाजन मानवता के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी : जयराम ठाकुर

एक पल में अपनी जन्मभूमि छोड़कर जाने के लिए मजबूर होने वालों पर क्या बीती हुई होगी, आज हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। हैरत इस बात की है कि मानवता के इतने बड़े अपराध पर किसी ने माफ़ी नहीं माँगी। किसी ने ज़िम्मेदारी नहीं की। तत्कालीन हुक्मरानों ने इतने बड़े ज़ख्म पर अपने शब्दों के मरहम लगाना भी ज़रूरी नहीं समझा। उस पाप को धोने और अपने अतीत से सबक लेने के लिए वर्ष 2021 में आदरणीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन स्मृति दिवस मनाने की घोषणा की जिसके लिए हम सभी उनके आभारी हैं।इतिहास गड़े मुर्दे उखाड़ने का उद्यम नहीं बल्कि अपने तारीख़ की ग़लतियों को समझने, उससे सीख लेने और वैसा कभी ना दुहराने का प्रक्रम है।यह विभाजन सिर्फ ज़मीन पर खींची कोई रेखा नहीं बल्कि मानवता के सीने पर चलाया गया वह नश्तर है जिसके जख्म कभी नहीं भर सकते। कांग्रेस सरकार की नाकामी की वजह से यह हुए भारत के विभाजन ने न सिर्फ सरहदें बांटी बल्कि हमारे तहज़ीब की भी तकसीम कर दी।
विभाजन लोगों पर कितना भारी पड़ा, यह वही लोग बता सकते हैं जिन्हे वह भोगना पड़ा। मानवता के इतिहास में इससे बड़ी कोई त्रासदी नहीं हुई। इस तरह का बंटवारा और आबादी की अदला-बदली दुनियां के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। भारत का विभाजन तात्कालिक हुक्मरानी के राजनैतिक महत्वाकांक्षा और रणनीतिक विफलता की एक कहानी है। जिसने लाखों भारतीयों की बलि ली और करोड़ों भारतीयों को बेघर कर दिया। विभाजन के दौरान हुई साम्प्रदायिक हिंसा और विभीषिका की अफरा-तफ़री में बीस लाख लोगों की जानें गई थीं और एक से दो करोड़ के बीच लोग विस्थापित हुए थे।
उन्होंने कहा कि 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' का तय होना विभाजन की त्रासदी झेलने वाले लोगों को हर भारतवासी की तरफ़ से आदरपूर्वक श्रद्धांजलि है जिसका स्मरण आजादी के बाद ही शुरू किया जाना चाहिए था लेकिन तत्कालीन सत्ताधीशों में अपनी नाकामी और लाखों लोगों की हत्याओं का अपराध स्वीकार करने का नैतिक साहस भी नहीं था लेकिन सच छुपाने से नहीं छुपता, लाखों लोगों की निर्मम हत्याओं के सच पर जितना पर्दा डाला गया वह उतने ही अधिक ताकत के साथ बाहर आता है। उन्होंने कहा कि ये भी एक कड़वा सच है कि 'हम आज आज़ादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। यह मानवता के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है। हमारे अपने करोड़ों लोगों का भोगा हुआ यथार्थ हैं।
यह दुनियां में मानवता की सबसे बड़ी त्रासदियों में एक हैं, जिसमें लाखों लोगों की निर्मम हत्याएं हुई। राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने एक निर्णय लिया और तहज़ीबों की तकसीम हो गई।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, सामाजिक विभाजन, वैमनस्यता के जहर को दूर करने और एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तीकरण की भावना को और मजबूत करने की जरूरत की याद दिलाए। यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा. साथ ही इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी। इस अवसर पर पूर्व मंत्री डॉ राजीव सहजल, पूर्व विधायक केएल ठाकुर, लखविंदर राणा, परमजीत पम्मी, डेजी ठाकुर सहित अन्य भाजपा नेता व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।