मानसिक विकारों से बचने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं किशोर: सीडीपीओ
अक्स न्यूज लाइन चमियाणा 30 अक्टूबर :
किशोरावस्था जहां एक ओर मानव जीवन का सर्वाधिक उत्पादक एवं ऊर्जावान कालखंड होता है वहीं सामाजिक, मानसिक एवं भावनात्मक बदलावों के दृष्टिगत यह जीवन का अत्यंत संवेदनशील दौर भी होता है। अनंत संभावनाओं से युक्त होने के कारण यह कालखंड सुदृढ़ मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक आदतों को विकसित करने का भी महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। स्वस्थ नींद, नियमित व्यायाम, परिस्थितियों से निपटने का कौशल, समस्याओं के समाधान, भावनाओं पर नियंत्रण रखने की कला जैसे गुणों को सीख कर भावी जीवन को सुनहरी बनाने में यह काल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उक्त विचार सीडीपीओ सुजानपुर कुलदीप सिंह चौहान ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पटलांदर एवं राजकीय उच्च विद्यालय चमियाना में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत 'किशोर एवं मानसिक स्वास्थ्य' विषय पर आयोजित शिविर में किशोरों से संवाद करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इस उम्र में प्रतिकूल परिस्थितियों से सामंजस्य स्थापित करने , साथियों के साथ तालमेल बिठाने और स्वयं की पहचान बनाने का दबाव तनाव को और तनाव मानसिक विकारों को जन्म देता है। तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी, सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और निरंतर कठिन होती प्रतिस्पर्धा ने इस स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित मनोविज्ञानी शीतल वर्मा ने स्मार्टफोन के अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग पर अंकुश लगाने और डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन पर जोर देते हुए किशोरों से स्क्रीन टाइम को सीमित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा की स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के कारण युवा सामाजिक अलगाव और अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं।
सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले नकारात्मक समाचार, आपत्तिजनक टिप्पणियां और हिंसक घटनाएं किशोरों में डिप्रेशन और एंजायटी को जन्म देते हैं जो आगे चलकर विभिन्न मानसिक विकारों को जन्म देते हैं। टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रचलन ने स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक शारीरिक और मानसिक गतिविधियों , सामाजिक संवाद और पारिवारिक समर्थन को मृत प्राय: कर दिया है। उन्होंने स्वस्थ आहार लेने, सक्रिय जीवन शैली अपनाने, परस्पर संवाद करने, संगीत और खेलकूद जैसी क्रियाओं में हिस्सेदारी और हर काम को छोटे-छोटे लक्ष्यों में बांट कर करने का सुझाव उपस्थित किशोरों को दिया। उन्होंने किशोरों को श्वास, योग और ध्यान क्रियाओं के माध्यम से तनाव को कम करने और स्वयं पर नियंत्रण रखने का भी अभ्यास कराया।



