नाहन की पतंगबाजी एक परंपरा : यहां जहां महाराजा का पतंग काटने वाले को मिलता था इनाम...

अक्स न्यूज लाइन नाहन 29 जुलाई :
रियासत काल से पतंगबाजी नाहन शहर में मनोरंजन नहीं अलबत्ता ऐतिहासिक परंपरा रही है। सिरमौर रियासत के महाराजा खुद पतंगबाजी के बड़े शौकीन रहे ऐसे यहां पतंगबाजी परम्परा बनी। बताया जाता है कि रियासत में खासतौर से रक्षाबंधन के दिन उत्सव की तरह की होती थी। पतंगबाजी का मुकाबला भी हुआ करता था। ऐसे मुकाबले चौगान में किये जाते थे।महाराजा स्वयं महल की छत से पतंग उड़ाया करते थे। महाराजा की पतंग काटने वाले को दरबार में बुलाकर सम्मानित किया जाता था। आज भी यह शाही परंपरा ने नाहन की पतंगबाजी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
हर साल रक्षाबंधन के दिन नाहन की फिज़ा रंग-बिरंगी पतंगों से सज जाती है। बच्चे, युवा और बुज़ुर्ग सभी छतों पर चढ़कर पतंगबाजी का आनंद लेते हैं औऱ पतंगबाजी करते हुए यह आवाज़ लगाते है बोलो बे छोकरो काटा हे...
लेकिन बीते कुछ वर्षों में इस पारंपरिक पर्व को चाइना डोर जैसे खतरनाक तत्व से खतरा बढ़ रहा है। चाइना डोर, जो प्लास्टिक, नायलॉन और कांच के महीन टुकड़ों से बनी होती है, बेहद तेज़ और खतरनाक होती है। इसकी वजह से न केवल पतंग उड़ाने वालों को चोट लगती है, बल्कि राह चलते बाइक सवार और आकाश में उड़ते पक्षी भी इसकी चपेट में आ जाते हैं।
रानीताल के अनिल कुमार बताते हैं कि पिछले वर्ष उनका बेटा पतंग उड़ाते समय चाइना डोर से बुरी तरह घायल हो गया था। उंगली इतनी गहराई से कट गई कि टांके लगाने पड़े। इसी तरह रेणुका रोड निवासी सतीश धीमान ने बताया कि वह बाइक चला रहे थे, तभी अचानक चाइना डोर उनके गले में फंस गई। “हेलमेट न होता तो शायद जान नहीं बचती,” उन्होंने कहा।
पक्षी प्रेमी आशीष ठाकुर ने बताया कि रक्षाबंधन के अगले दिन उन्हें कई घायल पक्षी मिले जिनके पंख और गर्दन चाइना डोर से कटे थे। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि “हर साल ये मौत का जाल पक्षियों को लील जाता है,” ।
हालांकि चाइना डोर पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन नाहन बाजार में कुछ दुकानदार चोरी-छिपे इसे बेच रहे हैं।
एसडीएम नाहन राजीव संख्यान ने कहा कि बाजार में कोई व्यक्ति या दुकानदार चाइना डोर बेचता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस को निर्देश दे दिए गए हैं कि सख्त निगरानी रखें।