*रूह कांप उठती है-एक-एक ईंट ज़ब साहेबजादे के श्वासों को रोक रही थी*
अक्स न्यूज लाइन नाहन 21 दिसम्बर :
जरा कल्पना करें, नन्हें-मुन्ने बालक जिंदा दीवार में चुनवायें जा रहे थे। एक-एक ईंट उनके श्वासों को रोकने के लिए लगाई जा रही थी। साहेबजादे केवल देश, धर्म की खातिर हंसते-हंसते, तिल-तिल करके अपना बलिदान दे रहे थे। रूह कांप उठती है, मात्र कल्पना कर लेने से, परन्तु वो वीर गुरू पुत्र टस से मस न हुए। साहेबजादे जोरावर सिंह व फतेह सिंह को जिंदा दीवारों में चुनवाने का महापाप मुगलों ने किया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. राजीव बिन्दल ने साहेबजादे जोरावर सिंह व फतेह सिंह को जिंदा दीवारों में चुनवाने के मुगलों के महापाप को स्मरण करते हुए कहा कि वास्तव में वह एक भयानक, दुखद और रूह को कंपाने वाला मंजर था।
डा. राजीव बिन्दल ने कहा कि वीर बाल दिवस दशम पातशाही श्री गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज के बलिदान की गौरव गाथा है। यह गाथा गुरू साहब के चारों पुत्रों के द्वारा धर्म की रक्षा के लिए, अपना सर्वस्व न्योछावर करने की है। वीर बाल दिवस, औरंगजेब के अत्याचारों की इंतहा की गाथा भी है। हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए गुरू तेग बहादुर जी के जीवन की आहुति, गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज के जीवन के संघर्ष और त्याग और चारों पुत्रों की शहादत की यह गाथा है।
उन्होंने कहा कि बाबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों का इतिहास भारत की परम्परा, भारत की संस्कृति, भारत के इतिहास, भारत के धर्म, भारत के संस्कारों को नष्ट करने के लिए किए गए अत्याचारों से भरा पड़ा है। पृथ्वीराज चौहान के साथ किए गए अत्याचारों, लूट-खसोट, हत्या, बलात्कार, बलात धर्मान्तरण से शुरू हुआ यह क्रम निरन्तर चलता रहा।
डा. बिन्दल ने कहा कि मुगलों के इन दुष्कर्मों को रोकने का सफल प्रयास शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप और गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज ने किया जिन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन को व परिवार को राष्ट्र रक्षण हेतु, धर्म रक्षण हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
उन्होंने कहा कि हजारों साल तक यह बलिदानी गाथा पीढ़ी दर पीढ़ी गाई जाएगी, वीर बालक पूजे जाएंगे और आने वाली संतानों को देश, धर्म की रक्षा की प्रेरणा देते रहेंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का संकल्प लिया है। नरेन्दर मोदी का लक्ष्य है विकास भी और विरासत भी। गुरू सिक्ख परम्परा हमारी विरासत है और विकास के साथ विरासत को संजोकर रखना है। हमारी पीढ़ियां इस त्याग, तपस्या व बलिदान को याद रखें और राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा लें, वीर बाल दिवस पर शहीद साहेबजादों को राष्ट्र की यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
.0.




